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Sunday, 18 February 2018

40+ ख़त पर शायरी - Khat Par Shayari In Hindi 19 Feb 2018

 बेहतरीन  ख़त पर शायरी - Khat  Par Shayari In Hindi 

शुरुआत करते हैं "Khat Par Shayari" के इस  आर्टिकल की  जोकि "शब्दों के जाल" से लिया गया हैं. जहा आप पा सकते हैं अपने मन पसंद शब्द ख़त पर शायरी  का विशाल संग्रह. 


जो शायरी के कद्रदानों है तथा व्हाट्स अप और फेसबुक के चाहने वालो को जो हमेशा सोशल मिडिया के प्लेटफॉर्म पर खुबसुरत शायरियो को शेयर करते हैं.. 
 आज का यह आर्टिकल  ख़त शब्द से लिया गया हैं और इस पोस्ट में आप पा सकते हैं ढेरो  ख़त  पर शायरियों का बेजोड़ कलेक्शन. जोकि आप सभी शायरी के कद्रदानो को बेहद ही पसंद आएगा.

तो देर कैसी आईये पढ़ते हैं "Khat Par Shayari" और अपने मनपसंद शायरी को शेयर करते हैं अपने दोस्तों और चाहने वालो को व्हात्सप्प और फेसबुक तथा अन्य सोशल मिडिया पर.


बेहतरीन  ख़त पर शायरी के इस कलेक्शन को पढ़ने से पहले गुनगुनाते हैं  एक प्यारा से नगमे की प्यारी सी  लाइन को.

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में फूल नहीं मेरा दिल है प्रीयतम मेरे तुम भी लिखना क्या ये तुम्हारे क़ाबिल है.  

40+ ख़त पर शायरी - Khat Par Shayari In Hindi

1= 

 मेरे  ✒  ख़त यूँ सरेआम जलाया ना करो,
 राख से भी आती हैँ ख़ुशबू मेरी मोहब्बत की.  
2= 

 जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
 ✒  ख़त किस लिए रक्खे हैं जला क्यूँ नहीं देते. 

3= 

 मैंने  ✒  खत को देखा और रख दिया बिना पढ़े हुए,
 मैं जानती हूँ की उसमें भूल जाने का मशवरा होगा.


4= 

 बड रहा है दर्द गम उस को भूला देने के बाद
 याद उसकी ओर आई ✒  खत जला देने के बाद. 

5= 

 आज का ✒  ख़त ही उसे भेजा है कोरा लेकिन
 आज का ख़त ही अधूरा नहीं लिख्खा मैं ने.
 हामिद मुख़्तार हामिद 

 6= 

 कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़'
 उन के ✒  ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले.
 कैफ़ भोपाली

7= 

 पहली बार वो ✒ ख़त लिक्खा था
 जिस का जवाब भी आ सकता था.
 शारिक़ कैफ़ी 

8= 

 तुम्हारे ✒  ख़त में नया इक सलाम किसका था
 न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था.
 दाग़

9= 

 उनके ✒  ख़त की आरज़ू है उनकी आमद का ख़याल
 किस क़दर फैला हुआ है कारोबार ए इंतज़ार.  

10= 
 इक ✒  ख़त लिखा था बादलों को
 भीगा भीगा जवाब आया अभी.


 11= 

 जैसे हो उम्र भर का असासा ग़रीब का
 कुछ इस तरह से मैंने सँभाले तुम्हारे ✒  ख़त.
  वसी शाह  

 12= 

 किसी को भेज के ✒  ख़त हाए ये कैसा अज़ाब आया
 कि हर इक पूछता है नामा-बर आया जवाब आया
 अहसन मारहरवी 

13= 

 फिर एक बे-नाम ✒  ख़त आया है मेरे नाम,
 फिर कागज़ में उसकी तस्वीर उभर आई है.

14= 

 वो एक ✒  ख़त जो उसने कभी लिखा ही नहीं,
 मैं रोज़ बैठ कर उस का जवाब लिखता हूँ.

15= 

 ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में,
 एक पुराना ✒  ख़त खोला अनजाने में.

 16= 

 तेरे ✒  ख़त में इश्क की गवाही आज भी है,
 हर्फ़ धुंधले हो गए पर स्याही आज भी है.

17= 

 वो अनपढ़ था फिर भी उसने पढ़े लिखे लोगों से कहा
 एक तस्वीर कई  ✒  ख़त भी हैं साहब आप की रद्दी में.
 बशीर बद्र 

18= 

 प्यार छिपा है  ✒ ख़त में इतना. जितने सागर में मोती.
 चूम ही लेता हाथ तुम्हारा. पास जो मेरे तुम होती. 
 इंदीवर

19= 

 मैं मुहब्बत से महकता हुआ ✒  ख़त हूँ मुझको
 ज़िंदगी अपनी किताबों में छुपा कर ले जाये
 बशीर बद्र 

20= 

 ग़ुस्से में बरहमी में ग़ज़ब में इताब में
 ख़ुद आ गए हैं वो मिरे ✒  ख़त के जवाब में
 दिवाकर राही 

 21= 

 कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,
 पूरे  ✒  खत में सिर्फ कान्हा-कान्हा नाम लिखा.

 22= 

 लिखा है अपने नाम से अपने पते पर ✒  खत,
 मुद्दत के बाद अपनी खबर चाहती हूँ मैं.

23= 

 माँ ने अपने दर्द भरे ✒  खत में लिखा,
 सड़के पक्की है अब तो गाँव आया कर.

24= 

 आप का ✒  ख़त नहीं मिला मुझ को
 दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
 असर लखनवी

25= 

 मैं ने उस की तरफ़ से ✒  ख़त लिक्खा
 और अपने पते पे भेज दिया
 फ़हमी बदायूनी
 26= 

 अंधेरा है कैसे तिरा ✒  ख़त पढ़ूँ
 लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे
 मोहम्मद अल्वी 

27= 

 अजी फेंको रक़ीब का नामा
 न इबारत भली न अच्छा ✒  ख़त
 सख़ी लख़नवी 

28= 

 कोई पुराना ✒  ख़त कुछ भूली-बिसरी याद
 ज़ख़्मों पर वो लम्हे मरहम होते हैं
 अंजुम इरफ़ानी 

29= 

 क़ासिद के आते आते  ✒  ख़त एक और लिख रखूं
 मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में 
 ग़ालिब 

30= 

 वो भी शायद रो पड़े वीरान काग़ज़ देख कर
 मैंने उस को आख़री ✒  ख़त में लिखा कुछ नहीं था.  

 31=

 वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर..
 ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ✒  ख़त में.  


 32=  

 रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
 क्या जनाज़े पर मेरे ✒  ख़त का जवाब आने को है
 फ़ानी बदायुनी

33= 

 मै देखता रहा उस ✒  खत को बार बार,
 बड़े उमीन्द से उसने "आपकी " लिखा होगा.

34= 

 किस ✒  खत में रखकर भेजूं अपने इन्तजार को
 बेजुबां हैं इश्क़ ढूँढता हैं खामोशी से तुझे.


35= 

 ग़ैर को ✒  ख़त लिखा उस पे पता मेरा रखा
 हंस के आईने से कहा ’आतिश’ ज़िंदा है अभी.

 36= 

 मुद्दत के बाद ✒  ख़त आया जो इज़हार-ए-मोह्हबत का,
 बैरन अँखियों ने बिन पढ़े भिगो हर लफ़्ज मिटा दिये. 

37=  

 दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
 कोई  ✒  ख़त  ले  के  पड़ौसी  के  घर आया होगा. 


38= 

 हसरतें आज भी ✒  खत लिखती हैं मुझे, 
 पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता.

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