सकून की एक रात भी नहीं ज़िन्दगी में , ख्वाइशों को सुलाओ… तो यादें जाग जाती हैं …
इस जवानी से तो बचपन अच्छा था जब कुछ बुरा लगता था वही रो देते थे , अब तो रोने के लिए भी जगह ढूँढनी पड़ती है
सुबह की ख्वाइशें शाम तक टाली है , इस तरह हमने ज़िन्दगी सम्भाली है
कुछ रिश्ते मुनाफ़ा नहीं देते पर ज़िन्दगी को अमीर बना देते हैं।
सारा जहाँ उसी का है जो मुस्कुराना जानता है…रौशनी भी उसी की है जो शमा जलाना जानता है…. हर जगह मंदिर हैं लेकिन भगवान तो उसी का है जो सर झुकाना जानता हैं।
कई बार ऐसा भी होता है. …….. इंसान किसी को हौंसला देते – देते खुद ही टूट जाता है
उलझने मीठी भी हो सकती है , जलेबी की मिठाई इसका सबूत है
रिश्ता सिर्फ वो नहीं जो गम या ख़ुशी में साथ दे , रिश्ता वो है जो अपनेपन का एहसास दे
क्या खूब रंग दिखती है ज़िन्दगी …. क्या इत्तेफ़ाक़ होता है , प्यार में उम्र नहीं होती , पर हर उम्र में प्यार होता है
उम्र में… ओहदे में … कौन कितना बड़ा है फर्क नहीं पड़ता , लहज़े में कौन कितना झुकता है ? फर्क ये पड़ता है…
बोलने का हक़ छिना जा सकता है, मगर खामोशी का कभी नहीं
कई बार हमारे साथ कुछ ऐसे हादसे हो जाते हैं जिनके बारे में हम सोचते रहते हैं क़ि ये कब…कहाँ …कैसे और क्यों हुआ…और यकीन मानिये “प्यार” ….इनमे से सबसे खतरनाक है
परखा बहुत गया मुझे…. लेकिन समझा नहीं गया…….
रख लो आइने हजार तसल्ली के लिए..पर सच के लिए तो,आँखे ही मिलानी पड़ेगी..
शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी , ज़रा सी आँखें क्या बंद हुई , वो कब्र खोदने लगे।
चाहतें मेमने से भी भोली हैं, पर ज़माना कसाई से भी ज़ालिम है
पागल हो जाने के भी अपने फायदे हैं , लोग पत्थर उठा लेंगे मगर ऊँगली नहीं उठाएँगे
जब हम रिश्तों के लिए वक़्त नहीं निकाल पाते तब वक़्त हमारे बीच से रिश्ता निकाल देता है…
दौर नहीं रहा अब किसी से वफ़ा करने का , हद से ज्यादा प्यार करो तो लोग मतलबी समझने लग जाते है
हम तो मज़ाक में भी किसी का दिल दुखाने से डरते हैं , पता नहीं लोग कैसे सोच समझ
मेरी ना सही तेरी होनी चाहिए , किसी एक की तो तमन्ना पूरी होनी चाहिए
ये ख्वाहीशो के काफीले भी कमाल होते है…कम्बख्त गुझरते वही से है जहा रास्ते नही होते..
बस इबादत में कमी है ज़नाब , वरना ख़ुदा तो हर जग़ह मौजूद है।
तुम शब्द मैं अर्थ…तुम बिन मैं व्यर्थ…
ना हथियार से मिलते है , ना अधिकार से मिलते है , दिलो में जगह अपने व्यवहार से मिलते है
मेरी हर ख्वाइश में सिर्फ तुम होते हो , बस दर्द ये है कि सिर्फ ख्वाईशों में ही क्यों होते हो
सच्चे किस्से शराब खाने में सुने वो भी हाथ मे जाम लेकर, झूठे किस्से अदालत में सुने वो भी हाथ मे गीता-कुरान लेकर…
दुनिया की सारी ख़ुशी मौजूद हो…लेकिन घर ?में बेटी ना हो तो घर? अच्छा नहीं लगता
अच्छे विचारों का असर आज कल इसलिए नहीं होता, ? क्यूंकि लिखने वाले और पढने वाले दोनो ये समझते है कि ये दूसरों के लिए है ??
कमबख्त दिल भी कमाल करता है..जब खाली खाली होता है तो भर आता है…!!
सोचा था घर बना कर सकून से बैठूंगा पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना दिया।
उम्र ढलने पर समझ में ज़िन्दगी आने लगी….जब सिमटने लग गए पर, आसमाँ खुलने लगा ।।
हर चीज़ की कीमत समय आने पर ही होती है,मुफ्त में मिलता हुआ ये ओक्सिजन, अस्पताल में बहुत महंगा बिकता है।।
ज़िन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है और आसान बनाने के लिए समझना पड़ता है..
बड़ी मंज़िलों के मुसाफ़िर, छोटा दिल नहीं रखते
एहसास कभी कह कर नहीं करवाया जाता
एक सच : आपका सबसे अच्छा दोस्त किसी और जाति से होगा और आपका सबसे बड़ा दुश्मन आपका कोई अपना ही होगा
खुशियों का कोई रास्ता नहीं , खुश रहना ही रास्ता है
मन की शान्ति सबसे बड़ा धन है
लोग रिश्ते छोड़ देते है पर बहस नहीं
कर दिलों से खेल जाते हैं
इन्सान सब कुछ बदल सकता है पर अपनी फिदरत नहीं
मुझे शौहरत कितनी भी मिले मैं हसरते नहीं रखता , मैं सब भूल जाता हूँ, पर दिल में नफरतें नहीं रखता
समय बहाकर ले जाता है , नाम और निशान !! कोई “हम” में रह जाता है कोई “अहम” में।
सामान बाँध लिया है मैंने , अब बताओ कहाँ रहते हैं वो लोग जो कहीं के नहीं रहते।
सहम सी गयी है ख्वाइशें , जरूरतों ने शायद उनसे ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
है रूह को समझना भी जरूरी , सिर्फ हाथ पकड़ना ही मोहब्बत नहीं होती।
लगता है ज़िन्दगी आज कुछ खफा है … चलिए छोड़िये , कौन सी पहली दफा है।
फ़ितूर होता है हर उम्र में जुदा – जुदा …… खिलौना , इश्क़ , पैसा फिर खुदा खुदा
कुछ अधूरी सी है हम दोनों की ज़िन्दगी , तुम्हें सकून की तालाश है और मुझे तुम्हारी
वो जो मुझे हँसते हुए देख कर खुश समझते हैं , वो अभी मुझे समझे नहीं।
किसी ने खूब कहा है – अँधेरा दिल में है और दिये मन्दिरों में जलाते हैं
दिल की बात साफ़ साफ़ बता देनी चाहिए , क्योंकि बता देने से फैसले होते हैं और ना बताने से फाँसले
कभी तो अपने लहज़े से ये साबित कर दो कि तुम भी बेपनाह मोहब्बत करते हो हमसे
अहमियत और दूरियों में अनोखा रिश्ता है , दोनों एक साथ बढ़ती हैं
करके कुर्बान अपनी खुशियो ? को, दूसरो की खुशी ? में अपनी खुशी ? को देखा है .. शुक्रगुजार है हम तेरे …खुदा जो तुने नारी रुप में साक्षात् देवी को भेजा है
जो माँगू वो दे दिया कर ऐ ज़िन्दगी, तू बस मेरी माँ जैसी बन जा…?
दिल

की

क्युँ

सुनें ? दिल

में दिमाग होता ? है क्या



प्यार ? तो हम दोनों ने किया था मैंने ? बहुत किया था और उसने बहुतों से किया था
नहीं जीना मुझे अब उस नकली अपनों के मेले में …खुश रहने की कोशिश कर लूंगा खुद हीं अकेले में
ज़िन्दगी आखिरकार ? रुला ही देती है… जनाब …..फिर चाहे हम माँ बाप के कितने ही लाड़ले क्यूं ना हो…
दुनिया का सबसे मुश्किल काम …. ” अपनों को अपनों में ढूंढना “
खुद को ढूंढने का नहीं ….. बनाने का नाम है ज़िन्दगी
सब्र रख तेरी कदर उसे वक़्त बताएगा
मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले.. फिर वही गोद फिर वही माँ मिले..
आँधियाँ गम की चलेगी तो भी सँवर जाऊँगा , मैं तो दरिया हूँ समुद्र में भी उतर जाऊँगा
कुछ नही मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर ?….. मेरा अपना साया मुझे धूप में आने के बाद मिला ??
यह दुनिया बिलकुल वैसी ही है जैसे आप देखना चाहते हैं , चाहे तो कीचड़ में कमल देख लो चाहे देख लो चाँद पर दाग
सादगी अगर हो लफ्जो मे, यकीन मानो,प्यार बेपनाह,और दोस्त बेमिसाल मिल ही जाते हैं !!
सफल इंसान वो ही है जिसे टूटे को बनाना और रूठे को मनाना आता है।
सारे साथी काम के सबका अपना मोल , जो संकट में साथ दे वो है सबसे अनमोल
ख़्वाहिशों की चादर तो कब की तार तार हो चुकी… देखते हैं वक़्त की रफ़ूगिरी, क्या कमाल करती है|
हजारों गम हो फिर भी मैं खुशी से फूल जाता हूँ…जब हंसती मेरी मां, मैं हर गम भूल जाता हूँ…
बदल रही हे जिंदगी, बदल रहे हे अन्दाज जीने के…बदल रहे हे लोग, खंजर छुपाये बेठे है अपने भी अपने सीने मे
कितने बदल गये है आज के रिश्तें भी, चंद मुस्कान के लिये चुटकुले सुनाने पड़ते है !!
मैं दुनिया से लड़ सकता हूँ पर अपनो के सामने लड़ नहीं सकता, क्योंकि अपनो के साथ मुझे ‘जीतना’ नहीं बल्कि ‘जीना’ है!
जीवन में नफरतों में क्या रखा है,मोहब्बत से जीना सीखो…क्यूंकि यारों ये दुनिया न तो मेरा घर है और न तुम्हारा ठिकाना…
तुम परवाह करना छोड़ दो लोग hurt करना छोड़ देंगे।
मूर्खों से तारीफ सुनने से अच्छा है कि आप बुद्धिमान इन्सान से डाँट सुनले।
बनावटी लोगो से सावधान : पहले तो रो -रो कर आपके दर्द पूछेंगे फिर हँस -हँस कर लोगों को बताएंगे।
साझेदारी करो तो किसी के दर्द के साथ, क्योंकि खुशियों के दावेदार तो बहुत हैं।
मौसम बहुत सर्द है,चल ए दोस्त … गलत फहमियो को आग लगाते है।।
मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है , तोड़ने वाले को नहीं।
रात की मुट्ठी में , एक सुबह भी है …. शर्त है कि पहले, जी भर के अँधेरा तो देख।
एक अच्छे चरित्र का निर्माण हज़ारों बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।
तुम्हारे हर सवाल का जवाब मेरी आँखों में था और तुम मेरी जुबान खुलने का इंतज़ार करते रहे।
बस ज़रा स्वाद में कड़वा है , नहीं तो सच का कोई जवाब नहीं।
सिर्फ ख़ुशी में आना तुम,अभी दूर रहो थोड़ा परेशान हूँ मैं
उड़ने में बुराई नहीं है , लेकिन उतना ही ऊँचा उड़े जहाँ से ज़मीन साफ़ दिखाई दे
जो व्यक्ति अपने बारे में नहीं सोचता , वो सोचता ही नहीं है
रिश्ते मोतियों की तरह होते होते हैं… कोई गिर भी जाये तो झुख कर उठा लेना चाहिए
आप भले अपनी जिंदगी से खुश नहीं हो पर कुछ लोग ऐसे भी है जो आप जैसी जिंदगी जीने के लिए तरसते है
शतरंज मे वज़ीर…और ज़िंदगी मे ज़मीर…अगर मर जाए तो खेल ख़त्म समझिए
ज़िन्दगी इतनी मुश्किल इसलिए है,क्यूंकि लोग आसानी से मिली चीज की कीमत नहीं जानते !!
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे ….खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले..
दिल के रिश्ते कभी नहीं टूटते .. बस खामोश हो जाते है…
जिसे ” मैं ” की हवा लगी…उसे फिर ना दवा लगी न दुआ लगी।
दुनियादारी सिखा देती है ” मक्कारियां ” वरना पैदा तो हर कोई साफ दिल का होता है।
इस कदर बँट गए हैं ज़माने में सभी …. अगर “भगवान”भी आकर कहे कि मैं भगवान् हूँ … तो लोग पूछ बैठेंगे किसके ?
नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग … वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले।
जज़्बात अपने हो तभी जज़्बात है , दुसरे के जज़्बात तो खिलौना है।
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