HINDi Poetry

जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले
दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले
आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले
शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले
फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले
इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले
जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले
दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले
आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले
शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले
फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले
इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले
Sad Poem on Garibi | गरीबी सबसे बड़ी सजा
खुशियों को हर कोई बाँट लेता हैं
पर किसी के गम को बांटना आसान नहीं होता
किसी जरुरतमंद की मदद करना इंसानियत हैं
ये किसी पर कोई एहसान नहीं होता
परिंदे भी लौट आते हैं आखिर में अपने बसेरे की ओर
पर कई इंसान ऐसे भी हैं जिनका कोई मकान नहीं होता
एक बच्चा सड़क के किनारे बैठ कुछ सोच रहा था
क्या गरीब बच्चो के दिल में कोई अरमान नहीं होता ?
ये बात सच हैं के हर एक का अपना अपना नसीब हैं
पर क्या कमजोर लोगो को देख मन कभी शर्मिंदा नहीं होता
आज के दौर में गरीबी से बड़ी कोई सजा नहीं
काश ऐसा हो के गरीबी का ही कोई नाम-o-निशान नहीं होता
खुशियों को हर कोई बाँट लेता हैं
पर किसी के गम को बांटना आसान नहीं होता
किसी जरुरतमंद की मदद करना इंसानियत हैं
ये किसी पर कोई एहसान नहीं होता
परिंदे भी लौट आते हैं आखिर में अपने बसेरे की ओर
पर कई इंसान ऐसे भी हैं जिनका कोई मकान नहीं होता
एक बच्चा सड़क के किनारे बैठ कुछ सोच रहा था
क्या गरीब बच्चो के दिल में कोई अरमान नहीं होता ?
ये बात सच हैं के हर एक का अपना अपना नसीब हैं
पर क्या कमजोर लोगो को देख मन कभी शर्मिंदा नहीं होता
आज के दौर में गरीबी से बड़ी कोई सजा नहीं
काश ऐसा हो के गरीबी का ही कोई नाम-o-निशान नहीं होता
ईश्वर का दिया वरदान है माँ
जीवन की शुरुआत हैं माँ,
हर लम्हे में साथ हैं माँ,
खुशियों की बरसात हैं माँ,
डूबती नैया की पतवार हैं माँ,
प्यार करे तो दुर्गा हैं माँ,
गुस्सा करे तो काली हैं माँ,
हर रूप है निराला उसका,
चाहे वो हो दुर्गा माँ,
चाहे वो हो काली माँ,
मानो तो भगवन हैं माँ,
ईश्वर का दिया वरदान है माँ
जीवन की शुरुआत हैं माँ,
हर लम्हे में साथ हैं माँ,
खुशियों की बरसात हैं माँ,
डूबती नैया की पतवार हैं माँ,
प्यार करे तो दुर्गा हैं माँ,
गुस्सा करे तो काली हैं माँ,
हर रूप है निराला उसका,
चाहे वो हो दुर्गा माँ,
चाहे वो हो काली माँ,
मानो तो भगवन हैं माँ,
ईश्वर का दिया वरदान है माँ
अगर बस में मेरे होता
आसमान से तारे तोड़ लाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे कदमो में जन्नत बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तुझे दुनिया की सेर करा, एक नया ही जहां दिखलाता
तेरी राहों में फूल बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे ख्वाब की हक़ीक़त बन, सपने सारे सच कर जाता
तेरे दर्द को खुद पर झेल जाता, अगर बस में मेरे होता
मैं खुद को तेरा आईना और एक तस्वीर निराली बनाता
तेरे आंसू को अपनी आँखों से गिराता, अगर बस में मेरे होता
तेरे लिए एक ताजमहल बनवाता, प्यार मेरा सबको दिखलाता
खुदा बन तेरी हर एक दुआ पूरी करता, अगर बस में मेरे होता
कितनी मोहब्बत हैं तुमसे मुझे ये तुम्हे समझाने के लिए
अपना दिल तेरे दिल में धड़काता, अगर मेरे बस में होता
आसमान से तारे तोड़ लाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे कदमो में जन्नत बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तुझे दुनिया की सेर करा, एक नया ही जहां दिखलाता
तेरी राहों में फूल बिछाता, अगर बस में मेरे होता
तेरे ख्वाब की हक़ीक़त बन, सपने सारे सच कर जाता
तेरे दर्द को खुद पर झेल जाता, अगर बस में मेरे होता
मैं खुद को तेरा आईना और एक तस्वीर निराली बनाता
तेरे आंसू को अपनी आँखों से गिराता, अगर बस में मेरे होता
तेरे लिए एक ताजमहल बनवाता, प्यार मेरा सबको दिखलाता
खुदा बन तेरी हर एक दुआ पूरी करता, अगर बस में मेरे होता
कितनी मोहब्बत हैं तुमसे मुझे ये तुम्हे समझाने के लिए
अपना दिल तेरे दिल में धड़काता, अगर मेरे बस में होता
सुन्दर पंक्तिया – ज़िन्दगी की सिख कविता
घबराने से मसले हल नहीं होते
जो आज है, वो कल नहीं होते।
ध्यान रखो इस बात का ज़रूर
कीचड़ में सब कमल नहीं होते।
नफ़ा पहुँचाते हैं जो जिस्म को
मीठे अक्सर वो फल नहीं होते।
जुगाड़ करना पड़ता है हमेशा
रस्ते तो कभी सरल नहीं होते।
दर्द की सर्द हवा से बनते हैं जो
वो ठोस कभी तरल नहीं होते।
नफ़रत की खाद से जो पेड़ पनपते हैं
मीठे उनके कभी फल नहीं होते।
जो आपको आपसे ज्यादा समझे
ऐसे लोग दरअसल नहीं होते।।
घबराने से मसले हल नहीं होते
जो आज है, वो कल नहीं होते।
ध्यान रखो इस बात का ज़रूर
कीचड़ में सब कमल नहीं होते।
नफ़ा पहुँचाते हैं जो जिस्म को
मीठे अक्सर वो फल नहीं होते।
जुगाड़ करना पड़ता है हमेशा
रस्ते तो कभी सरल नहीं होते।
दर्द की सर्द हवा से बनते हैं जो
वो ठोस कभी तरल नहीं होते।
नफ़रत की खाद से जो पेड़ पनपते हैं
मीठे उनके कभी फल नहीं होते।
जो आपको आपसे ज्यादा समझे
ऐसे लोग दरअसल नहीं होते।।
Most Hot Sexy Romantic Seductive Poetry
होंठो पे अपने होंठ रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
साँसों में साँसें घुल जाने दे
बाँहों में बाहें मिल जाने दे।
दो जिस्म हम, जान एक है
इरादे मेरे आज नहीं नेक है।
आग लग रही है, तन-बदन में
जल रहा हूँ मैं प्रेम अगन में।
लबों पे अपने लब रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
एक दूजे में खो जाने दे
मुझको तेरा हो जाने दे।
आग लग रही है, तन और मन में
सुलग रहा हूँ मैं, बरसते सावन में।।
चलो ना पूरी तरह बहक जाते है
ताक़त आज अपनी आज़्माते है।
होंठो पे अपने होंठ रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
साँसों में साँसें घुल जाने दे
बाँहों में बाहें मिल जाने दे।
दो जिस्म हम, जान एक है
इरादे मेरे आज नहीं नेक है।
आग लग रही है, तन-बदन में
जल रहा हूँ मैं प्रेम अगन में।
लबों पे अपने लब रख दूँ
आ तुझे मैं प्यार कर लू।
एक दूजे में खो जाने दे
मुझको तेरा हो जाने दे।
आग लग रही है, तन और मन में
सुलग रहा हूँ मैं, बरसते सावन में।।
चलो ना पूरी तरह बहक जाते है
ताक़त आज अपनी आज़्माते है।
रिश्ते स्वार्थी, दोस्ती बदनाम, प्यार दिखावा, सबके मायने बदल गए
पहले दोस्त, दोस्त की मदद करता था दोस्ती के लिए
आज दोस्त, दोस्त की मदद करता है अक्सर अपने स्वार्थ के लिए
पहले दोस्त पैसा दोस्त को दे देता था हमेशा के लिए
और दोस्त कैसे भी करके लौटाता था, मन के सुकून के लिए
आज कल दोस्ती तो लगता है, जैसे नाम के लिए रह गयी हैं
कितना सब बदल गए हैं और कितनी सोच भी बदल गयी हैं
और कहते हैं अपने दोस्त को जो उधार दे वो मूर्ख कहलाये
और जो उधार वापस करे, वो उससे भी बड़ा मुर्ख कहलाये
दोस्ती का नाम बदनाम हुए जा रहा हैं
फिर भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा हैं
माहौल दिन-ब-दिन ख़राब होता जा रहा हैं
इंसान का इंसान से विश्वास उठता जा रहा हैं
बदलता माहौल देख बहुत दुःख हो रहा हैं
देखो दोस्तों इंसान कहा से कहा जा रहा हैं |
पहले दोस्त, दोस्त की मदद करता था दोस्ती के लिए
आज दोस्त, दोस्त की मदद करता है अक्सर अपने स्वार्थ के लिए
पहले दोस्त पैसा दोस्त को दे देता था हमेशा के लिए
और दोस्त कैसे भी करके लौटाता था, मन के सुकून के लिए
आज कल दोस्ती तो लगता है, जैसे नाम के लिए रह गयी हैं
कितना सब बदल गए हैं और कितनी सोच भी बदल गयी हैं
और कहते हैं अपने दोस्त को जो उधार दे वो मूर्ख कहलाये
और जो उधार वापस करे, वो उससे भी बड़ा मुर्ख कहलाये
दोस्ती का नाम बदनाम हुए जा रहा हैं
फिर भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा हैं
माहौल दिन-ब-दिन ख़राब होता जा रहा हैं
इंसान का इंसान से विश्वास उठता जा रहा हैं
बदलता माहौल देख बहुत दुःख हो रहा हैं
देखो दोस्तों इंसान कहा से कहा जा रहा हैं |
प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ
हाँ मैं तेरे प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ
सोचा रुक जाएगी ज़िन्दगी, जब उसने मेरे दिल को तोडा
लेकिन तूने आके मेरी ज़िन्दगी में इसका टुकड़ा टुकड़ा जोड़ा
सपने लेने छोड़ दिया था, लगा था तनहा सा रहने
अब तू मिली ज़िन्दगी में और तेरे सपने के सागर में लगा हूँ बहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
चली गयी थी चेहरे की हंसी आने लगे थे दुःख
तुम मिली ज़िन्दगी में अब सच हैं सारे सुख
प्यार एक शब्दो का खेल हैं. ऐसा लगा था सबसे कहने
आज तो फिर से प्यार हो गया और लगा हूँ तेरे ख्वाबो में रहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ
हाँ मैं तेरे प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ
सोचा रुक जाएगी ज़िन्दगी, जब उसने मेरे दिल को तोडा
लेकिन तूने आके मेरी ज़िन्दगी में इसका टुकड़ा टुकड़ा जोड़ा
सपने लेने छोड़ दिया था, लगा था तनहा सा रहने
अब तू मिली ज़िन्दगी में और तेरे सपने के सागर में लगा हूँ बहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
चली गयी थी चेहरे की हंसी आने लगे थे दुःख
तुम मिली ज़िन्दगी में अब सच हैं सारे सुख
प्यार एक शब्दो का खेल हैं. ऐसा लगा था सबसे कहने
आज तो फिर से प्यार हो गया और लगा हूँ तेरे ख्वाबो में रहने
भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….
शेर पर कविता | शेर घायल है मगर दहाड़ना नहीं भूला
शेर घायल है मगर दहाड़ना नहीं भूला
एक बार में सौ को पछाड़ना नहीं भूला।
कुत्ते समझ रहे हैं कि, शेर तो हो चुका है ढ़ेर
उन्हें कौन समझाए कि, ये तो समय का है फेर।
साज़िश और षड्यंत्र के बल पर, हुआ यह सब
वरना आज तक कोई, शेर को मार सका है कब।
विरोधियों ने बैठक बुलाई, नई-नई योजना बनाई
सिंह को वश में करने के लिए, चक्रव्यूह रचना सुझाई।
चौकन्ना एक चीता, हालात जो सब समझ चुका था
ऐसे ही एक जाल में, बहुत पहले खुद फंस चुका था।
कुत्ते गीदड़ सियार लोमड़ी, बेशक सब गए हो मिल
अपनी ही चाल में फंसेगे सब, नहीं अब ये मुश्किल।
शेर ज़ख़्मी है लेकिन शिकार करना नहीं भूला
पंजों से अपने घातक प्रहार करना नहीं भूला।।
शेर घायल है मगर दहाड़ना नहीं भूला
एक बार में सौ को पछाड़ना नहीं भूला।
कुत्ते समझ रहे हैं कि, शेर तो हो चुका है ढ़ेर
उन्हें कौन समझाए कि, ये तो समय का है फेर।
साज़िश और षड्यंत्र के बल पर, हुआ यह सब
वरना आज तक कोई, शेर को मार सका है कब।
विरोधियों ने बैठक बुलाई, नई-नई योजना बनाई
सिंह को वश में करने के लिए, चक्रव्यूह रचना सुझाई।
चौकन्ना एक चीता, हालात जो सब समझ चुका था
ऐसे ही एक जाल में, बहुत पहले खुद फंस चुका था।
कुत्ते गीदड़ सियार लोमड़ी, बेशक सब गए हो मिल
अपनी ही चाल में फंसेगे सब, नहीं अब ये मुश्किल।
शेर ज़ख़्मी है लेकिन शिकार करना नहीं भूला
पंजों से अपने घातक प्रहार करना नहीं भूला।।
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